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न्याय की आस में ज़िंदगी दांव पर

 “न्याय की आस में ज़िंदगी दांव पर” – सतलापुर की ममता ठाकुर ने की आत्महत्या की कोशिश, दबंगों की दहशत में जी रही है परिवार 

सतलापुर/वार्ड-15 – "जब कानून का दरवाजा खटखटाने पर भी दरवाज़ा न खुले, तो ज़िंदगी से भरोसा उठ जाता है।" सतलापुर की ममता ठाकुर की कहानी कुछ ऐसी ही है, जो इन दिनों शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त होकर जीने से ज्यादा मरने की सोचने लगी हैं।

ममता ठाकुर, जो वार्ड नंबर 15 में अपने पति और दो बेटियों के साथ रहती हैं, ने आरोप लगाया है कि उन्होंने द्रौपदी नामक महिला से पांच लाख रुपये कर्ज लिया था। उन्होंने उसमें से साढ़े चार लाख रुपये लौटा भी दिए, लेकिन इसके बावजूद द्रौपदी ने न केवल उनके घर पर जबरन कब्जा कर लिया, बल्कि कुछ संदिग्ध लड़कों को उनके घर में घुसा भी दिया।

इन लड़कों की अशोभनीय हरकतें, धमकियां और आए दिन की अभद्रता ने ममता और उनकी बेटियों का जीना दूभर कर दिया है। हालात इतने बदतर हो गए कि कुछ दिन पहले ममता ने आत्महत्या करने का प्रयास किया, लेकिन समय रहते उन्हें बचा लिया गया।

ममता की एक किडनी खराब है, और उनकी सेहत भी दिन-ब-दिन गिरती जा रही है। वे थाने के चक्कर काटती रहीं, लेकिन वहां से मिला जवाब था – "यह हमारा मामला नहीं है, हम कुछ नहीं कर सकते।"

यह केवल एक महिला की लड़ाई नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनहीनता की शर्मनाक बानगी है।

क्या आम नागरिक की गुहार अब सिर्फ हवा में खो जाने के लिए रह गई है?

ममता और उनकी बेटियों ने प्रशासन और मीडिया से गुहार लगाई है कि उन्हें न्याय दिलाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

अगर समाज ऐसे मामलों पर चुप रहा, तो कल को यह कहानी किसी और की ममता की भी हो सकती है।



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