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पाठ्यपुस्तक मेले में नहीं मिली किताबें, बीईओ और बीआरसी पर मिलीभगत के आरोप, जिला शिक्षा अधिकारी ने दी सफाई




आमला। जनपद शिक्षा केंद्र आमला के तत्वाधान में आयोजित पाठ्यपुस्तक मेले में अभिभावकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। मेले में स्कूलों की आवश्यक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई गईं, जिससे विद्यार्थियों और अभिभावकों को निराशा हाथ लगी। इस अव्यवस्था को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और विकासखंड स्रोत समन्वयक (बीआरसी) की किताब विक्रेताओं से मिलीभगत के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई।

 किताबें  न मिलने से अभिभावक परेशान

पाठ्यपुस्तक मेले का उद्देश्य था कि विद्यार्थियों को उनकी जरूरत की किताबें एक ही स्थान पर आसानी से मिल सकें, लेकिन हकीकत इससे उलट रही। मेले में पहुंचे अभिभावकों को जब किताब विक्रेताओं ने बताया कि ज़रूरी किताबें उपलब्ध नहीं हैं और उन्हें दुकान से खरीदनी होंगी, तो वे भड़क उठे। अभिभावकों का आरोप है कि विक्रेताओं ने किताबों के ऊंचे दाम बताकर मेले में बिक्री से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि किताबें केवल दुकान पर ही उपलब्ध होंगी, जिससे यह संदेह गहरा गया कि कहीं अधिकारी और विक्रेताओं के बीच मिलीभगत तो नहीं?

 क्या है आरोपों की सच्चाई?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पाठ्यपुस्तक मेले का सही संचालन किया जाता, तो अभिभावकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। कुछ शिक्षकों और अभिभावकों का आरोप है कि किताब विक्रेताओं को प्रशासन का अप्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है, जिससे वे मेले में किताबें न रखकर अपनी दुकानों पर ऊंचे दाम पर बिक्री करने के लिए स्वतंत्र हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि मेले का उद्देश्य विफल हो गया और अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे।

जिला शिक्षा अधिकारी ने दी सफाई

इस मामले में जब बैतूल जिला शिक्षा अधिकारी से बातचीत की गई तो उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं है। हमने सभी दुकानदारों से पहले मीटिंग ली थी और इसके उपरांत ही इस पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। यदि कोई हितग्राही ऐसा महसूस करता है कि कोई अनियमितता हुई है, तो वह मुझसे संपर्क कर सकता है। मैं तत्काल जांच कराऊंगा और दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।"


इसके अलावा उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई दुकानदार अधिक दामों पर किताबें बेचता पाया जाता है, तो उसकी शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा, "ऐसे मामलों में दुकानदार की सारी पुस्तकें ज़ब्त कर ली जाएंगी और उसका लाइसेंस ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।"

कलेक्टर से जांच की मांग

इस मामले को लेकर अभिभावकों ने प्रशासन से शिकायत करने का मन बना लिया है। उनका कहना है कि बीईओ और बीआरसी की भूमिका संदिग्ध लग रही है और इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने कलेक्टर से अनुरोध किया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाए।

शिक्षा प्रणाली पर उठते सवाल

यह घटना केवल आमला तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी इस तरह की समस्याएं देखने को मिल रही हैं। जब सरकारी स्तर पर पाठ्यपुस्तक मेले का आयोजन होता है, तो इसका मकसद छात्रों को आसानी से और उचित दरों पर किताबें उपलब्ध कराना होता है। लेकिन जब ऐसे मेले केवल औपचारिकता बनकर रह जाएं और शिक्षा अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिले, तो यह शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

क्या होगी कार्रवाई?

फिलहाल, इस मामले पर प्रशासन का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन अभिभावकों और सामाजिक संगठनों के बढ़ते दबाव के चलते जिला प्रशासन को जल्द ही इस पर संज्ञान लेना पड़ सकता है। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है और दोषियों पर कार्रवाई की जाती है, तो भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कलेक्टर इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।

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